बुधवार, 24 दिसंबर 2014

महाविश्‍वकर्मपुराणम् का प्रकाशन

मित्रो, इस वर्ष के अंतिम दिनों में महाविश्‍वकर्मपुराण का प्रकाशन हुआ है। प्राचीन तेलुगु पाठ से देवनागरी में अक्षरान्‍तर के बाद एक एक श्‍लोक का अनुवाद कर इसका प्रकाशन संभव हुआ है। तैंतीस अध्‍यायों में शिल्‍पकारों के समुदाय, उनके गोत्र, प्रवर सहित उनके स्‍मृति शास्‍त्र का इसमें सम्‍यक परिपाक मिलता है।

यह औपपुराणों की कोटि का पुराण है। कतिपय ग्रंथ भंडारों में इसकी पांडुलिपि स्‍तंभपुराण के नाम से भी मिलती है।

यह ग्रंथ मुझे श्रीकोल्‍लोजु श्रीकांताचार्य ने भेजा और दिन रात लगकर करीब एक माह में इसका टंकण और सुरुचिपूर्ण पृष्ठवार संयोजकर कर सचित्र प्रकाशन योग्‍य बनाया। उपयोग बढाने के लिए इसमें प्राचीन 'शिल्‍पसार' नामक ग्रंथ का पाठ भी पहली बार प्रकाशित किया गया है। मित्रों ने इसकी प्राप्ति के लिए पूछा है, इस प्रसंग में मेरा निवेदन है कि इसकी प्राप्ति के लिए इस पते पर संपर्क किया जा सकता है -

श्री परिमल जोशी,
परिमल पब्लिकेशंस,
27, 28 शक्तिनगर, दिल्‍ली 110007
फोन नंबर है - 09891143247

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