शनिवार, 21 मार्च 2015

सुमेरियन तंत्री वाद्य : भारतीय संदर्भ

नाट्यशास्‍त्र आदि में चार प्रकार के वाद्यों में तंत्रवाद्य का जिक्र आया है और इसमें वे वाद्य कोटिकृत किए गए हैं जिनके लिए तार का प्रयोग होता आया था। ऐसे वाद्य सुमेरियन सभ्‍यता में भी प्रयोग में आते थे। लगभग 2000 ईसापूर्व की एक मृणपट्टिका में एक हारपिस्‍ट या तंत्रीवादक को दिखाया गया है जिसके लिए कहा गया है कि वह कविता को संगीतबद्ध करने में सहायता करता था।
(Stamped clay plaque of a harpist- 2000 B.C, Music was an important part of daily life. Sumerians used many instruments including harps, pipes, drums, and tambourines. The music was often used in conjunction with poems and songs dedicated to the gods) नाट्यशास्‍त्र में हारपिस्‍ट के लिए 'वेणिक' का प्रयोग हुआ है।

हमारे यहां भी तंत्री वाद्य का वैदिक काल से ही जिक्र मिलता है। बाण, कर्करी, गर्गर, गोथा और आघाटी नामक वीणाओं का यही स्‍वरूप हाेता था। जिसमें तूंबे का प्रयोग होता, वह 'अलाबु वीणा' कही जाती थी। शांख्‍यायन ब्राह्मण की वह कथा मशहूर है कि असुर ने सिद्धत्‍व के परीक्षण के लिए कण्‍व मुनि को कैद कर लिया। चुनौती दी‍ कि वह बिना देखे बताए कि सूर्योदय हो गया है। तब उन्‍होंने अश्वि देवता के प्रात:कालीन तंत्रीवादन को सुनकर बताया कि सवेरा हाे गया है... तब जाकर असुरों ने उनको स्‍वतंत्र किया। रामायण काल में भी 'तंत्रीलय समन्वितम्...' (बालकांड, सर्ग 4) का संदर्भ सुबह सुबह गूंजने वाली मंगलध्‍वनि के प्रसंग में आया है।
बौद्ध ग्रंथों में गुत्तिल जातक में एेसी ही कथा आती है। तब वीणा वादन की प्रतियोगिताएं होती थी। उज्‍जैनी या उज्‍जैन के वीणा वादक मूसिल और वाराणसी के राजवादक गुत्तिल के बीच राजदरबार में जो प्रतियोगिता हुई, उसमें बड़ी भीड़ जुटी थी। गुत्तिल ने वीणा की सप्‍ततंत्रियों में से प्रत्‍येक तार को तोड़ते हुए भी अपना वादन निरंतर रखा। जब सारे ही तार भूमि पर गिर पड़े तब भी तमाशबीन देख रहे थे कि वीणा से ध्‍वनि निकल रही थी,, दर्शक चकित थे... दण्‍ड ही ध्‍वनि निष्‍पन्‍न कर रहा था।
है न तंत्रीवाद्य की रोचक कहानियां और प्रसंग। ऐसे दर्जनों प्रसंग याद हैं मगर, सबसे अधिक रोचक बात यह है कि यह वाद्य भारत से लेकर सुमे‍रियन सभ्‍यता तक अपनी झंकार से जनजीवन में सुरों का सुख पूरित करता रहा है...।

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